मातृदिवस पर सर्वशक्ति मातृशक्ति, ईश्वरीय-प्रतिमूर्ति”माँ”को समर्पित💕
💕उमा मेहता त्रिवेदी की कलम💕
हाँ…!
मैंने माँ को पहचाना
माँ बन…
माँ को जाना
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
डॉटना क्या होता
कभी नहीं जाना
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
मौन भाषा से
धीरज देना
तुफानो से ना घबराना
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
तपती धूँप से
चूल्हें की आग तक
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
कली,जड़,पत्ती,,,,
फूलों-फलों की सुंगध में
बेलों से झरते पानी में
पराग से दबे कणों में
ओस की नन्हीं बूदों से
मिट्टी के भूरेपन में
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
बारिश में भीगते हुए
खुद को सवारते हुए
दौड़ते-भागते हुए
हाँ..मैंने माँ को पहचाना..।
गोदी का साया
ऑस से ऑसरा तक
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
सज़ा हर क्षमा तक
फिक्र से चिन्तन तक
हर पल …
माँ को जाना
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
दुख को सुख को
बिन कहे समझना
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
जन्म-मृत्यु..
चौखट,द्वार वो ऑगन
दहलीज़ से बिदाई तक
हाँ मैंने माँ को पहचाना..।
……