आष्टा ।सोमवार 28 अक्टूबर को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव अर्थात मोक्ष कल्याणक दिवस पर निर्वाण लाडू सभी जिनालयों में चढाए गए ।महावीर स्वामी ने दीपावली के दिन मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए जैन समाज के लोग इस दिन को दीपावली के रूप में भी मनाते हैं। सोमवार को श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर दिव्योदय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर अपूर्व मति माताजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि कर्मों के नाश को निर्वाण कहते हैं ।ज्ञान का दीप हमारे अंदर जल जाए तो अज्ञानता स्वता ही दूर हो जाएगी। कर्मों का क्षय हो जाएगा ।जीवो की शांति हेतु एक वृद्धा ने णमोकार महामंत्र का जाप किया था। क्योंकि आतिशबाजी चलाते समय अनेक जीवो की अकाल मृत्यु हो जाती है। आठों कर्मों का बंध आतिशबाजी चलाने से होता है। ज्ञानावर्णी कर्म का बंध भी होता है।
श्री दिगंबर जैन समाज के प्रवक्ता नरेंद्र गंगवाल ने बताया कि नगर में श्री श्वेतांबर जैन एवं श्री दिगंबर जैन समाज द्वारा सोमवार को धूम धाम एवं भक्ति भाव से भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण उत्सव मनाया गया। श्वेतांबर जैन समाज के श्रावक श्राविकाओं ने गंज ,किला मंदिर एवं दादाबाड़ी पर निर्वाण लाडू चढ़ाएं। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी का मोक्ष कल्याणक पर्व पूज्य आर्यिका श्री 105 अपूर्व मति माता जी ससंघ के पावन सानिध्य में दिव्योदय जैन तीर्थ किला मंदिर में भव्य रूप से मनाया गया। प्रातः काल 6:30 बजे से शान्ति धारा, अभिषेक, नित्य पूजन के पश्चात भगवान के पूजन कर पंचकल्याणक के अर्घ्य समर्पित कर संगीत मय भजनों के साथ पूजन की गई ।आज के इस महा आयोजन में श्री जी की शांतिधारा करने का सौभाग्य मनोज कुमार मिट्ठूलाल जैन एवं अरुण कुमार आयुष अष्टपगा को प्राप्त हुआ। वही श्रीजी का अभिषेक करने का सौभाग्य पवन जैन,दिलीप लक्षपति, कैलाश जैन चित्रलोक,मिश्रीलाल जैन काका को प्राप्त हुआ। श्रीजी को निर्वाण मोक्ष फल चढ़ाने का सौभाग्य एस सी जैन अध्यापक, जीतमल मनोज कुमार जैन, आनन्द कुमार पोरवाल, यतेंद्र कुमार जैन श्रद्धा को प्राप्त हुआ। आज आर्यिका संघ ने चातुर्मास समापन बेला पर पंचगुरु भक्ति आदि क्रियाएं वाचन कर अपना संकल्प से समाज को बताया कि हम आज से आपके बन्धन से मुक्त हो गए है। अब हम गुरु आज्ञा से कही भी कभी भी विहार कर सकते है ।आज हमारा चातुर्मास निस्थापन हो गया है। सायंकाल की गोधूलि बेला में पूज्य आर्यिका जी ने पाठशाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों को गौतम स्वामी की पूजन करवाई ।यहां उल्लेखनीय है कि दीपावली की प्रातः काल की शुभ बेला में भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ। उसी दिन सायंकाल गोधूलि बैला में अंतिम केवली गौतम गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी।