संस्कार के बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता, संत अपना नहीं समाज का कल्याण करते हैं -मुनि भूतबलि सागर महाराज
फोटो मुनि भूतबलि सागर महाराज आशीर्वचन देते हुए छाया।

आष्टा।धार्मिक संस्कार बिना जीवन का उत्थान और आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है। जैन मंदिर धार्मिक आस्था के केंद्र है। यहां रहकर संत, साध्वी अपनी आत्मा के कल्याण के साथ समाज को सही दिशा देते हैं। संत अपना नहीं समाज का कल्याण करते हैं।
यह बात मुनि भूतबलि सागरजी महाराज ने पुलक मंच मेन की टीम से आशीष वचन के दौरान कही।
मुनि महाराज ने कहा कि बच्चों में धार्मिक शुभ संस्कार परिवार की समृद्धि का कारण बनता है। अच्छे कर्म करें और भगवान के लिए निकालें समय। भूतबलि सागर महाराज ने कहा कई योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म मिला है। इसका सदुपयोग करें। शिक्षा हासिल की। कामकाज संभाला। खाया-पीया व घूमे भी। कुछ समय भगवान के लिए भी निकालें। अच्छे कर्म करें ,ताकि अगला जन्म भी मनुष्य का मिले।
विपरीत परिस्थितियों में घबराएं नहीं।
मनुष्य के कर्म अच्छे हो तो कितनी भी कठिनाई हो दूर हो जाएगी। ईश्वर ने जीवन दिया है, उसे परिवार के साथ खुशनुमा माहौल में बिताएं। परिस्थितियों से लड़ना सीखे। इस अवसर पर मुनि विशद सागर महाराज ने कहा कि सामान्य पुरुष को सूतक लगता है , महापुरुषों को नहीं। श्रावक वह जो श्रद्धावान, क्रियावान और विवेक वान हो। इस अवसर पर पुलक मंच मेन अध्यक्ष जितेंद्र जैन जेके, नरेन्द्र गंगवाल, भूपेन्द्र जैन,ऋषभ कालोनी, गुलाबचंद जैन,प्रीति जैन,श्रद्धा गंगवाल आदि उपस्थित थे।
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