आज आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

आज आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

 

सीहोर। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह दिव्य विवाह है। माता पार्वती की कठिन तपस्या का परिणाम है कि भगवान शिव ने अपनी शक्ति के रूप में चयन किया। भगवान शिव और माता पार्वती अर्धनारीश्वर स्वरूप है। उक्त विचार शहर के नेहरु कालोनी में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन श्री कपिल महाराज ने कही। रविवार को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की झांकी सजाई गई थी। सोमवार को आस्था और उत्साह के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कथा दोपहर एक बजे से आरंभ होती है।
उन्होंने कहा कि धर्म में भगवान शिव को देवों का देव महादेव माना जाता है सब सृष्टि की संरचना हुई तो देवों के देव महादेव उसके पहले से उपस्थित थे भारतीय संस्कृति में शिव के अर्धनारीश्वर रूप का भी उल्लेख है। जब शिव की पूजा की जाती है तो जीवन में सुख अनुभूति होती है। सारे क्लेश मिट जाते हैं। लोगों का आपसी द्वंद्व लड़ाई समाप्त हो जाता है और इसीलिए विवाह रूपी बंधन के सबसे उत्तम उदाहरण शिव और पार्वती हैं। कहा जाता है कि यदि क्लेश से निजात पाना हो तो भगवान शिव की पूजा अर्चना करते रहना चाहिए। पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया। विवाह प्रसंग के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए।


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!