कलश यात्रा के साथ किया गया सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ
माता-पिता दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है-आचार्य देवेन्द्र व्यास
सीहोर। शहर के छावनी स्थित बड़ा बाजार में सावन मास में आयोजित सात दिवसीय भव्य संगीतमय भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ किया गया। कलश यात्रा सुबह शहर के खजांची लाइन स्थित श्रीजी की हवेली से निकाली गई जो शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए कथा स्थल पहुंची। इसके पश्चात दोपहर दो बजे से भागवत कथा का शुभारंभ किया। कथा के पहले दिन आचार्य देवेन्द्र राधेश्याम व्यास ने भागवत कथा का महत्व तथा उसके श्रवण के प्रकार बताए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा जो कोई श्रवण करेगा वह ठाकुरजी को प्राप्त करने में सफल होगा तथा उसके जन्म-जन्मों के मोह-माया के बंधन दूर होंगे। माता-पिता दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। हर बात से अनजान व्यक्ति अगर माता पिता की सेवा कर ले तो वैसे ही भवसागर पार कर लेता है।
सोमवार को भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। अधिक मास में इसके श्रवण का महत्व है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। कथा के पहले दिन जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती उषा रमेश सक्सेना, धर्मेन्द्र ठाकुर, श्रीमती शोभा चांडक, सुरेश झंवर, सुभाष अग्रवाल, रामेश्वर सोनी, तारा अग्रवाल, अनिता बांगड आदि श्रद्धालुओं ने आरती की। कथा के पहले दिन आचार्य श्री व्यास ने कहा कि आचरणवान पुरुष चलता-फिरता वेद रूप होता है और भगवान की कथा मनुष्य को यह स्वरूप प्रदान करने में पूर्ण समर्थ है। श्री सच्चिदानंद का शाब्दिक विग्रह करते हुए कहा कि भगवान सर्वकालिक, चैतन्य और ज्ञान वान हैं। संसार के सभी सुख अस्थायी और क्षणभंगुर हैं किंतु ईश्वर के सानिध्य से प्राप्त होने वाला सुख शाश्वत होता है। श्रीमद् भागवत कथा अंधकार से प्रकाश अर्थात अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है। भगवान के स्वभाव का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से उनकी कथा सबकी रक्षा करती है।