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सीहोर : 150 सालों से हो रही नवरात्रि पर मरीह माता मंदिर में पूजा अर्चना

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150 सालों से हो रही नवरात्रि पर मरीह माता मंदिर में पूजा अर्चना

 

सीहोर। शहर के विश्राम घाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में जारी नौ दिवसीय दिव्य यज्ञ का आयोजन हर साल की तरह इस साल भी किया जा रहा है। करीब 150 सालों से माता मंदिर में नवरात्रि पर भव्य रूप से भंडारे का आयोजन किया जाता है। आगामी 10 अपै्रल को मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जाएगा, वहीं दुर्गाष्टी को रात्रि 12 बजे निशा आरती की जाएगी। रविवार को श्रद्धालुओं ने नवरात्रि यहां पर मौजूद कन्याओं का पूजन किया और उनको चुनरी अर्पित।
ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि मां दुर्गा के नौं स्वरुपों में मां ब्रह्मचारिणी द्वितीय स्वरुप हैं। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली। इन्होंने भगवान शिव को पति रुप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था इसलिए ये ब्रह्मचारिणी कहलाई। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप अत्यंत ज्योतिर्मय है। इनके बांए हाथ में कमंडल सुशोभित है तो दाहिने हाथ में ये माला धारण करती हैं। इनकी उपासना से साधक को सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। शहर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में जारी नौ दिवसीय दिव्य यज्ञ में पंडित उमेश शर्मा और ज्योतिषाचार्य पंडित श्री शर्मा के मार्ग दर्शन में मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द सिंह मेवाड़ा सहित अन्य श्रद्धालुओं ने देवी के मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई।
यज्ञ के दौरान पंडित श्री शर्मा ने बताया कि दिव्य यज्ञ का आयोजन क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए किया जा रहा है। नौ देवियों के साथ हर रोज दस महाविद्याओं का भी आह्वान किया जाता है। उन्होंने बताया कि काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला शामिल है। श्री शर्मा ने बताया कि प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह हैं। पहला सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, तीसरा सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)। मंदिर में पूजा अर्चना आदि का क्रम जारी है। हर साल हजारों की संख्या में यहां पर श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते है। आगामी दिनों में महानिशा की आरती और भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

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