सीहोर-हम किसानों के पास जहर खाकर मरने के अलावा कोई दूसरा चारा है नहीं पार्वती डेम में डूवी रावतपुरा के किसानों की सिंचित भूमि मुआवजा देने की बारी आई तो अधिकारी बता रहे असिंचित

हम किसानों के पास जहर खाकर मरने के अलावा कोई दूसरा चारा है नहीं

पार्वती डेम में डूवी रावतपुरा के किसानों की सिंचित भूमि
मुआवजा देने की बारी आई तो अधिकारी बता रहे असिंचित

सीहोर। सरकारी दफतरों में चक्कर लगाकर भटक चुके किसानों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर डिप्टी कलेक्टर प्रगति वर्मा को ज्ञापन देकर जहर खाकर जीवन लीला समाप्त करने की चैतावनी दी है।
श्यामपुर तहसील के ग्राम रावतपुरा के अनेक किसानों की सिंचित भूमि पार्वती डेम के डूब क्षेत्र में आ रही है। सिंचित भूमि का मुआवजा देने की बारी आई तो अधिकारी दास्तावेजों में किसानों की सिंचित कृषि भूमि को असिंचित दर्शा रहे है। अपनी पुस्तैनी भूमि का सहीं मुआवजा राशि नहीं मिलने से अनेक किसान हैरान परेशान है। इधर किसानों ने क्षेत्रीय पटवारी पर भी सिंचित भूमि को मुआवजे के दस्तावेजों में सिंचित दर्शाने के लिए रिश्वत की मांग करने का आरोप भी लगाया गया है।

कलेक्ट्रेट पहुंचे रावत खेड़ा के किसानों ने बताया की बड़े कास्तकारों को डूब में आने वाली जमीनों के भरपूर मुआवजा दिया जा रहा है जबकी उसी क्षेत्र के छोटे कास्तकारों को लगातार परेशान किया जा रहा है तालाब कूंए ट्रव्यूबेल सहित नदी से वर्षो से सिंचित भूमि को जानबूझकर असिंचित दर्शाया जा रहा किसानों का कहनास है की अनेक किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में आ रही है लेकिन उनकों अबतक नोटिस नहीं दिया गया है। 

अखिर किसानों के साथ क्यों भेदभाव किया जा रहा है। अनेक किसान पार्वती डेम निर्माण के कारण घर से बेघर होने की कगार पर पहुंच चुके है। किसानों ने कहा की वरिष्ठ प्रशानिक अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्वयं ही जांच कर ले। जिस कारण क्षेत्र के अनेक किसान मानसिक रूप से परेशान है अगर सहीं मुआवजा राशि तत्काल आवंटित नहीं की जाती है तो किसानों के पास जहर खाकर मरने के आलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। किसानों ने की सिंचित भूमि का मुआवजा सिंचित भूमि के मान से हीं दिया जाए और डूब में आ रहे मकानों का भी पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।
कलेक्ट्रेट पहुंचे किसानों में दिलीप सिंह पिता सरदार सिंह, महेंद्र सिंह पिता ओमप्रकाश सिंह, प्रदुम सोलंकी पिता भवरलाल, गंगाराम पिता चुन्नीलाल, आत्माराम पिता गोपाल प्रसाद, भोलाराम पिता धन्नालाल, दशरथ पिता इंदर सिंह, बाबूलाल पिता पन्नालाल, छन्नूलाल पिता रतन लाल सहित अन्य किसान शामिल रहे।
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