सीहोर शहर में तीन-तीन जैनाचार्यों का 50 साधु-साध्वीजी भगवंतो के साथ पदार्पण हुआ‘‘संत और संस्कृति का सदैव सम्मान होता रहा है’’- जैनाचार्य श्री मुक्तिप्रभसूरिजी

सीहोर। मध्य प्रदेश प्रांत का सुप्रसिद्ध सीहोर शहर में श्री सीहोर जैन संघ की आग्रहपूर्ण विनंति से जिनशासन ज्योतिर्धर परमशासनप्रभावक, बीसवीं सदी के सुप्रसिद्ध महान जैनाचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वर जी महाराजा के संप्रदाय के तेजस्वी सितारे वरिष्ठ जैनाचार्य श्री विजयमुक्तिप्रभसूरिजी म.सा., जैनाचार्य श्री विजय अक्षयभद्र सूरिजी म.सा. एवं आचार्य श्री विजयपुण्यप्रभसूरिजी म.सा.आदि ठाणा 50 जैन साधु संत आज सोमवार 28 मार्च को मंगल आगमन निमित्त सीहोर पहुॅचा।
आज सुबह इन्दौर नाका से भव्य मंगल आगवानी प्रारंभ हुई जो बस स्टेण्ड होती हुई सरस्वती विद्या मंदिर नवीन भवन में समाप्त हुई।
आज सीहोर पधारे आचार्य श्री मुक्तिप्रभसूरिजी ने कहा कि आपका यह विद्या मंदिर राष्ट्रीय स्वयं संघ संचालित करता है। संघ को संत और संस्कृति दो चीज पसंद है। संत और संस्कृति का सदैव सम्मान करना चाहिये। जहॉ संत नहीं जाते वहॉ संस्कृति नहीं रहती और जहॉ संस्कृति नहीं वहॉ शांति नहीं है।
प्रभुदर्शन से परमपद मिलता है- श्री पुण्यरक्षित विजयजी
आज प्रवचन के दौरान पूज्य गुरुभगवंत ने जैनो का शाश्वत श्री शत्रुंजय महातीर्थ में कभी भी रात्रिभोजन नहीं करना चाहिये का उपदेश दिया। इस पर सीहोर जैन संघ के उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं करबद्ध खड़े होकर सहर्ष स्वीकार करते हुए गुरुभगवंत के श्रीमुख से रात्रिभोजन त्याग का नियम स्वीकार किया। श्री सीहोर जैन संघ ने मुमुक्षु भाईयों व बहनों का सम्मान किया था तथा संघपतियों का बहुमान किया गया।
ज्ञातव्य है कि यह संघ अहमदाबाद से कोलकत्ता की 2 हजार किलो मीटर की पैदल यात्रा कर रहा है। जिसके आयोजक श्री नंदप्रभा परिवार का भी सीहोर जैन संघ के सदस्यों ने बहुमान किया साथ ही नंदप्रभा परिवार की और से सीहोर संघ का अभिवादन किया।
सीहोर श्रीसंघ में लगभग 12 साल बाद जैनाचार्यों का इतना विशाल परिवार एक साथ आने से सकल जैन समाज में अभूतपूर्व उत्साह है। आज बाहर से पधारे संघ ने सीहोर के सभी प्राचीन जैन मंदिरों के दर्शन किये। 30 मार्च तक संघ भोपाल श्री महावीर गिरी तीर्थ में मंगल प्रवेश करेगा।