Take a fresh look at your lifestyle.

सीहोर : श्री कार्तिक शिव महापुराण कथा में मनाया गणेश उत्सव धैर्य हो तो समस्याएं अपने आप सुलझ जाती हैं-भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर : श्री कार्तिक शिव महापुराण कथा में मनाया गणेश उत्सव धैर्य हो तो समस्याएं अपने आप सुलझ जाती हैं-भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा

15
Image

श्री कार्तिक शिव महापुराण कथा में मनाया गणेश उत्सव
धैर्य हो तो समस्याएं अपने आप सुलझ जाती हैं-भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर। धैर्यवान होना सरल काम नहीं है। यह कहना भी शायद गलत न हो कि आज की दुनिया में धैर्यवान बनना सबसे कठिन काम है। धैर्यवान होना विशेषता है व इसे विकसित होना चाहिए। धैर्यवान बनने के लिए अभ्यस्त होना भी सरल काम नहीं है लेकिन जो लोग धैर्यवान होते हैं उन्हें विभिन्न मार्गो से इसका फल मिलता है। भगवान के भक्तों को संसार के लोग विचलित करते है। इसलिए भक्तों की परीक्षा उनके धैर्य पर निर्भर है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्री कार्तिक शिव महापुराण कथा के चौथे दिवस भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कही।
इस मौके पर उन्होंने धैर्य के बारे में भगवान बुद्ध के शिष्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक वन से गुजर रहे थे। तपती दोपहरी थी। गर्मी और लंबी यात्रा से वे थक गए थे। उन्हें जोरों की प्यास भी लगी थी। बुद्ध एक छायादार पेड़ के नीचे रुक गए और उन्होंने शिष्य आनंद से कहा, अभी कुछ देर पहले हमने मार्ग में एक झरना देखा था। जाओ और वहां से पानी ले आओ, जोरों की प्यास लगी है। आनंद गए, मगर वह झरना बहुत छोटा था और थोड़ी देर पहले ही वहां से कुछ जानवर गुजरे थे, जिससे ठहरा हुआ पानी हिल गया था और कीचड़ नीचे से ऊपर आ गया था। पानी पीने लायक नहीं रह गया था। आनंद लौटकर बुद्ध के पास आए और कहा, जानवरों के झुंड के वहां से गुजरने से पानी गंदा हो गया है, वह पीने लायक नहीं है। अगर आप आज्ञा दें तो यहां से कुछ दूरी पर एक नदी है, वहां से जल लेकर आता हूं। बुद्ध ने कहा, उसी झरने पर एक बार फिर जाओ। बुद्ध का आदेश पाकर आनंद को फिर वहीं जाना पड़ा, हालांकि उसका मन नहीं था। वह जानते थे कि पानी गंदा ही होगा, पर बुद्ध की आज्ञा का भी पालन करना था। पहले की ही तरह गंदा पानी देखकर वह वापस लौट आए और बुद्ध से बोले, मैंने पहले ही कहा था कि वह पानी पीने योग्य नहीं है। बुद्ध मुस्कुराए और उन्होंने कहा, एक बार फिर वहीं जाकर देखो तो आनंद, शायद साफ पानी मिल जाए। आनंद तीसरी बार झरने पर पहुंचे। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, पानी पूरी तरह साफ हो गया था। वह पानी लेकर खुशी-खुशी वापस लौटे और बुद्ध के चरणों में गिर पड़े उन्होंने कहा, आपने आज फिर मुझे एक बहुत बड़ी सीख दी। कुछ भी स्थायी नहीं है, सिर्फ धैर्य चाहिए। विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि महापुराण दोपहर दो बजे से पांच बजे तक जारी रहती है, शुक्रवार को भगवान श्रीगणेश की बाललीलाओं के अलावा कार्तिक महत्व का वर्णन किया जाएगा। 

Leave A Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!