कोरोना संक्रमित रहे व्यक्ति का इंदौर के एक निजी चिकित्सालय में उपचार हुआ और एक माह की लंबी अवधी के उपचार के बाद जब युवक की छुट्टी हुई और वह आष्टा आया तो उसके पास कोविड नेगेटिव होने का प्रमाण पत्र मौजूद था, लेकिन मंगलवार को युवक की तबियत अचानक बिगड़ी और वह शासकीय अस्पताल के पीछे एक लेब के ही एक भाग में स्थित क्लीनिक पर पहुचा और उसकों चिकित्सक ने देखा। इस दौरान उसकी तबियत बिगड गई और सांस लेने में भारी तकलीफ होने लगी, प्राण वायु का इंतजाम होता तबतक बहुत देर हो चुकी थी। यह दर्दनाक हादसा सिविल अस्पताल के ठीक पीछे घटित हुआ। इस मामले में एसडीओ विजय मंडलोई का कहना हैं कि युवक कोरोना संक्रमित होकर इंदौर में उपचाररत था, जहा से वह कोरोना नेगेटिव होकर आया था, एसडीओ श्री मंडलोई ने कहा कि इस संबंध में बीएमओं प्रवीर गुप्ता से जानकारी ली तो बताया कि उन्होने भी युवक को देखा हैं। उसके फेफडों में ज्यादा नुकसान हुआ हैं। इस घटना के बाद यह तो तय हो गया हैं कि युवक कोरोना संक्रमित होकर उपचाररत रहा और नेगेटिव होकर घर वापस आ गया। जिन परिस्थितियों में उसकी मृत्यु हुई हैं, वह तो पीएम रिपोर्ट के बाद ही सामने आएगी। लेकिन यह तो तय हैं कि शहर में कई ऐसे लोग हैं, जो निजी तौर पर उपचार करा रहे हैं। या फिर संक्रमित होकर भी आम लोगो के मध्य अपनी गतिविधि कर रहे हंै। शहर के लिए ऐसे लोग बड़ा खतरा हैं, इस युवक की मौत से फिर यह सवाल उत्तर की मांग करने लगा हैं कि जिस मात्रा में उसके फेफडे प्रभावित हुए हैं, तो क्या वह संक्रमित नही हैं? क्या उसे पुन: संक्रमण ने तों अपनी गिरफ्त में नही ले लिया? यह तमाम सवाल अब शहर में चर्चा के केंद्र बिंदु बन गए हैं। इधर महिला चिकित्सक हिनोपमा ठाकुर का कहना हैं कि युवक को अस्पताल लाने से पहले डॉ प्रवीर गुप्ता ने देखा हैं, यह युवक लेब में भी जांच हेतु गया था। फेफडे में निमोनिया का संक्रमण हैं। अब सवाल यह हैं कि कोरोना का टेस्ट होगा यह नही?

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