सीहोर : कोरोना संकट में जान हथेली पर रखकर काम कर रहीं आशा उषा और सहयोगिनी प्रदेश सरकार फिर नहीं कर रहीं है मांग पूरी कलेक्ट्रेट में नारेबाजी कर दिया मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

कोरोना संकट में जान हथेली पर रखकर
काम कर रहीं आशा उषा और सहयोगिनी
प्रदेश सरकार फिर नहीं कर रहीं है मांग पूरी
कलेक्ट्रेट में नारेबाजी कर दिया मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
सीहोर। प्रदेश व्यापी आह्वान के तहत सीहोर जिले की आशाओं ने सोमवार को जिलाधीश कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन अपर कलेक्टर गुंचा सनोबर को दिया। आक्रोशित आशाओं ने जिलाधीश कार्यालय में जोरदार नारेबाजी कर सरकार के द्वारा आशाओं की बेहद लंबित मांगों को लगातार नजर अंदाज करने पर आक्रोश दर्ज कराया।
अबतक सैकड़ों आंदोलन हो चुके हैं परंतु सरकार आशा एवं आशा सहयोगिनियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने न्यूनतम वेतन 21 हजार देने कोरोना से मृत आशाओं को राशि का भुगतान करने उनके आश्रितों को नौकरी देने मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
कोरोना संकट के दौरान अपनी जान की परवाह किए बगैर गांव गांव शहर शहर मोहल्लों में घर-घर जाकर संक्रमित मरीजों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं इतनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए कई आशाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है फिर भी आशाएं डटी हुई हैं इतनी महत्वपूर्ण कड़ी को सरकार नजरअंदाज कर रही है जबकी असली कोरोना योद्धा आशा उषा एवं आशा सहयोगिनी हैं।
प्रदर्शन कर रही आशाओं को संबोधित करते हुए जिला महासचिव ममता राठौर ने कहा कि देश में कई राज्य सरकारें आशाओं को जैसे आंध्र प्रदेश केरल तमिलनाडु एवं और भी कुछ राज्य सरकारें आशाओं को अपनी ओर से राशि प्रदान कर रही हैं आंध्र प्रदेश में 10 हजार भुगतान किया जा रहा है आंगनवाड़ी कर्मचारियों को भी मध्य प्रदेश सरकार अपनी ओर से वेतन दे रही है लेकिन आशाएं लंबे समय से मांगों को लेकर आंदोलित हैं परंतु राज्य सरकार सुन नहीं रही है।
हमारी सभी लंबित मांगों को सरकार तत्काल निराकरण करें अन्यथा हम आगे भी भीषण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। हमारी मांगों का शीघ्र निराकरण किया जाए ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से राजमणि, रीना, शकुन पाटिल, चिंता बुंदेल,े रेखा, ज्योति, विमला, तबस्सुम, बेबी, सुनीता, चिंता चौहान, ममता राठौर, सुनिता, तीजा, उइके, बशु, किरण, सुभद्रा, रेखा मेहरा प्रमुख रूप से शामिल रही।