वैराग्य के लिए कोई निमित्त अवश्य बनता है , पुण्य आत्माएं लम्बे समय तक सांसारिकता में बंध कर नही रह सकती । भगवान आदिनाथ ने राज्यारोहण के पश्चात राज दरबार मे नृत्यरत नीलांजना की मृत्यु देखी यद्यपि सभा मे मौजूद इंद्र ने अपनी माया से नीलांजना का प्रतिरूप बना दिया नृत्य भी यथावत चकता रहा पर यह बात राजा आदिकुमार से छुपी नही और उन्होंने निश्चित मृत्यु तथा जीवन की क्षण भंगुरता को भांप कर वैराग्य धारण कर लिया । दुर्लभ मनुष्य जीवन का उद्देश्य भी यही होना चाहिए कि हम वैराग्य धारण कर जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पाने का उपक्रम करें । भगवान आदिनाथ के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए आज धर्मसभा में भारतीय संस्कृति में आदि ब्रह्मा भगवान द्वारा लौकिक और पारलौकिक जीवन के लिए शिक्षाओं और व्यवस्थाओ के बारे में बताया गया । धर्म सभा मे मुनि अजित सागरजी महाराज ने उत्कृष्ट श्रावक धर्म को भी चिन्हित करते हुए कहा कि विषय राग से तटस्थता जीवन को पवित्र करती है और वैराग्य धारण कर कठोर तप के बाद प्राप्त ज्ञान से लोक कल्याण के उपदेश दिए जाते हैं । तीर्थंकर भगवन्तों के जीवन चरित्र और जिनवाणी से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए , मोह माया छोड़ कर वैराग्य धारण किये हुए सन्यासी प्रखर पुरुषार्थ करते हैं और आत्म कल्याण करते हैं । हमारा यह दायित्व है कि सद्गुणों को धारण कर जीवन मे पावित्र्य और दिव्यता प्रकट करें ।
तप कल्याणक विशेष :-
मैना स्थित अयोध्या नगरी परिसर में पाषाण से भगवान बनाने के लिए चल रहे पंच कल्याणक महोत्सव में आज तप कल्याणक पर्व मनाया गया । सूर्योदय के साथ ही समारोह स्थल पर नित्यमह अभिषेक , शांति धारा ,तप कल्याणक पूजन और शांति हवन के लिए मंत्रोच्चार गूंजने लगे । भक्ति भाव से इंद्र इंद्राणियो सहित सभी चयनित पात्रों ने पूजन अभिषेक में भाग लिया । शांति हवन में बैठे श्रद्धालुओं ने राष्ट्र की सुख समृद्धि और वर्तमान काल मे चल रही कोरोना के निदान की कामना से आहुतियां दी ।
तीर्थंकर आदिनाथ के सन्यास पूर्व लौकिक जीवन से सम्बंधित घटनाओं का सांस्कृतिक मंचन किया गया जिसमे युवराज आदि कुमार के विवाह और उनके राज्याभिषेक के दृश्य के साथ ही राजा आदि कुमार द्वारा तात्कालिक समय की जरूरत अनुसार अस्त्र शस्त्र संचालन , लिपि लेखन कृषि कार्य पद्धति शिल्पकारी की शिक्षा आदि प्रदान की गई । मान्यता है कि भगवान आदिनाथ द्वारा उपरोक्त शिक्षा के पूर्व पृथ्वीवासियों की सभी आवश्यकताएं कल्पवृक्षो के नीचे इच्छा व्यक्त करने मात्र से पूरी हो जाती थीं । काल दोष के कारण कल्पवृक्ष निष्फल होने पर भगवान आदिनाथ ने राज्यकाल में षटधर्म उपदेश के माध्यम से जीवन यापन उपयोगी शिक्षाओं के साथ ही दण्ड व्यवस्था और लिपि अक्षर ज्ञान प्रदान करके विद्याध्ययन की व्यवस्थाओं का भी सूत्रपात किया ।
सभी पौराणिक घटनाओ के दृश्य मंचन के बाद आदिकुमार के वैराग्य का कारण बने नर्तकी नीलांजना के नृत्य के दौरान हुई मृत्यु के दृश्य भी मंचित हुए ।सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान को वैराग्य के बाद उनके पुत्र भरत बाहुबली को राज्य सौंप कर दीक्षावन की और प्रस्थान और दीक्षा विधि भी दर्शाए गए ।
तप कल्याणक की क्रियाओं में अंक न्यास ,संस्कार रोपण तथा पूजन अर्चन विधि विधान से की गई । आज पंच कल्याणक परिसर में क्षेत्रीय सांसद महेंद्र सौलंकी ,विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय भी पधारे उन्होंने मुनि श्री अजित सागर जी महाराज को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया । इस अवसर पर नेता द्वय ने लघु धार्मिक पुस्तिका का विमोचन भी किया । समिति अध्यक्ष मयूर जैन , समाज अध्यक्ष राजेश जैन , महामंत्री नरेंद्र श्रीमोढ , एवम अन्य पदाधिकारियों ने अतिथियों का बहुमान किया

शाम को गुरु भक्ति के बाद पांडाल में श्रावकों ने भक्ति भाव से मंगल आरती की वही आचार्य विद्यासागर संस्कार पाठशाला के अजय जैन किला , श्रीमती मोनिका विजय के निर्देशन में कुमारी नेक्षी जैन , कु. स्नेहा एव पलक जैन ने मनोरंजक नृत्य प्रस्तुत किया वहीं स्थानीय मण्डल कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी
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