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“पॉलिथीन या कलंक” समाज में बढ़ रहे पॉलिथीन के उपयोग से केवल जीव जंतु और पशु ही नहीं मानव जीवन भी हो रहा है प्रभावित।

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पॉलिथीन या कलंक समाज में बढ़ रहे पॉलिथीन के उपयोग से केवल जीव जंतु ही नहीं मानव जीवन भी हो रहा है प्रभावित

पॉलीथिन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहरों तक लोगों की सेहत बिगड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं नगर का ड्रेनेज सिस्टम भी इससे प्रभावित होता है नगर में बनी सकरी ना लिया पॉलीथिन के बहाव को आगे नहीं बढ़ा पाती जिससे अक्सर नाले जाम होते हुए दिखाई देते हैं तेजी से प्लास्टिक के बढ़ रहे उपयोग से पशु और मानव जीवन दोनों ही महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हो रहे प्रोग्राम बात करें चाय के गिलास की या फिर पानी के गिलास की अक्सर हम देखते हैं कि किसी भी समारोह में डिस्पोजल क्लासों का ऊंचाई शीतला तो का प्रभावी रूप से उपयोग किया जाता है और उसके बाद उसे अन्यत्र फेंक दिया जाता है जिसे पशु सेवन करते हैं और मरते हैं साथ ही उस से फैलने वाले केमिकल मानव संस्कृति के लिए भी हानिकारक दिखाई देते हैं पॉलिथीन का बढ़ता उपयोग न केवल वर्तमान के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है पॉलिथीन पूरे देश की गंभीर समस्या है हमें आज भी अच्छे से याद है कि पहले जब हम बाजार में खरीदारी करने जाते थे तो एक कपड़े का थैला साथ में लेकर जाते थे लेकिन जैसे-जैसे समाज में ग्लैमर का बढ़ावा हुआ वैसे वैसे दुकानदार होते पॉलिथीन की मांग करने लगे एक समय था जब अखबार के बने लिफाफे में सामान मिलता था किंतु आज उसकी जगह पॉलिथीन ने ले लिए

हमारे धरातल पर जमा पॉलिथीन जमीन का जल सोखने की क्षमता को कम कर रहे हैं इससे भूजल स्तर गिरता जा रहा है सुविधा के लिए बनाई गई पॉलिथीन आज सबसे बड़ी असुविधा का कारण बन गई है प्राकृतिक तरीके से नष्ट नहीं होने वाली यह पॉलिथीन धीरे धीरे धरती की उर्वरक क्षमता को समाप्त करती जा रही है विकास के नाम पर शहरों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई तरह तरह के निर्माण के दौरान भी पेड़ नष्ट हो रहे हैं किंतु जानलेवा पॉलिथीन को नष्ट करने के लिए आज भी कोई सुचारू उपाय नहीं अपनाया गया यह कैसा कलंक है जिसे जलाने तक से हमें नुकसान होता है क्योंकि इसका जहरीला दुआ हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जिस प्रकार से स्वच्छ भारत अभियान का आगाज किया गया था उसी प्रकार से पॉलिथीन को नष्ट करने के लिए भी एक अभियान चलाने की आवश्यकता है

अगर हम ध्यान दें तो सैकड़ों पशु पॉलीथिन खाकर मौत के घाट उतार चुके हैं किंतु फिर भी पॉलीथिन के उपयोग में किसी प्रकार की कमी नहीं देखी गई है नगर में पॉलिथीन के प्रतिबंध पर अब तक केवल बातें ही की गई क्योंकि आज भी दुकानदार चोरी-छिपे पॉलिथीन का उपयोग करते हुए पाए जाते हैं पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक अमानक 40 माइक्रोन से कम पतली पॉलीथिन पर्यावरण की दृष्टि से बेहद नुकसानदायक है उपयोग में लेने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह पॉलीथिन उपयोग में काफी सस्ती पड़ती है प्रशासन ने कई बार अभियान चलाएं नगर पालिका ने चालानी कार्यवाही भी की बावजूद इसके अब तक पूर्ण रूप से पॉलीथिन पर रोक नहीं लग पाई है आखिर ऐसा क्या कारण है जो प्रशासन को पॉलीथिन पर रोक लगाने से रोकता है अब देखना यह है खबर के प्रकाशन के बाद प्रशासन का पॉलिथीन को लेकर क्या रवैया रहता है क्या पॉलीथिन को पूर्ण रूप से आष्टा में पॉलीथिन के उपयोग पर प्रशासन प्रतिबंध लगा सकेगा

सीहोर न्यूज़ दर्पण एक बार फिर आप से अपील करता है कि अमानक 40 माइक्रोन से पतली पॉलिथीन के उपयोग से हमारा जनजीवन प्रभावित होता है इसलिए अगर पॉलिथीन ले तो 40 माइक्रोन से ज्यादा की ताकि उसे नष्ट किया जा सके अन्यथा पॉलीथिन के उपयोग मैं ना लें।

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