परशुराम जयंती पर विशेष,
भगवान परशुराम ने माता पिता का तुरनाल में किया था पिंडदान

नर्मदा के उत्तर तट पर बसा है ग्राम तुरनाल,
पांच लड्डू के नाम से प्रसिद्ध है यह स्थान
तुरनाल मे नर्मदा तट पर भगवान परशुराम जी का भव्य मंदिर
अनिल उपाध्याय
खातेगांव /देवास
देवास जिले के अंतिम छोर पर बसी धार्मिक नगरी नेमावर पोराणिक दृष्टिकोण से किसी तीर्थ से कम नहीं है! इसी क्षेत्र की भूमि पर भगवान परशुराम ने नर्मदा के उत्तर तट पर अपने माता -पिता के पिंड दान किए थे! जिसके चलते गोनी और नर्मदा नदी के संगम स्थल की है दुनिया में ख्याति है!
नेमावर से पूर्व दिशा में 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम तुरनाल नर्मदा के उत्तर तट पर बसा है! यहां भगवान परशुराम ने पिता जगदमनि ओर माता रेणुका के पिंडदान किए थे!
नर्मदा तट पर पत्थर की एक बड़ी चट्टान पर पाषाण के पांच लड्डू आज भी देखे जा सकते है वहीं पूजा अर्चना के बाद इसी चट्टान के निचले हिस्से में प्रतीक स्वरूप एक चित्र उकेरा था चित्र में माता-पिता लेटे दिखाई दे रहे हैं!
वही भगवान परशुराम सामने बैठकर पूजा कर रहे हैं,
भगवान परशुराम ने नर्मदा के उत्तर तट पर माता-पिता के पिंड दान किए इसका उल्लेख स्कंद पुराण में भी है बताते हैं कि भगवान परशुराम ने अपने पिता के कहने पर माता रेणुका का वध कर दिया था!
माता रेणुका के शरीर के हिस्से जहां जहां गिरे ,भगवान परशुराम ने उन स्थान पर पहुंचकर माता के पिंडदान किए तुरनाल में परशुराम ने पत्थर की विशाल शिला पर लड्डू उकेरा, वही पूजा के बाद इसी पत्थर के नीचे हिस्से पर प्रतीक स्वरूप पूजा करता हुआ चित्र भी उतरा था जो आज भी देखने को मिलता है!
श्राद्ध पक्ष में नर्मदा की उत्तर तट पर 5 लड्डू नामक स्थान की खासी महात्ता है, 16 श्राद्ध में दूर-दूर से लोग अपने पितरों को जल तर्पण के लिए यहां पहुंचते हैं !पितृो की श्राद तिथि पर पंडितो
व्दारा पिंडदान पूजा कराई जाती हे! पंडितो के मुताबिक ओंकार आनंद जी महाराज की कृति रेवा पथ मे इसका उल्लेख है!
भगवान परशुराम ने सारे तीर्थों में माता पिता के पिंडदान किए थे! लोक मान्यता के अनुसार यहा पिंडदान करने का प्रयाग जितना महत्व भी है!भगवान परशुराम व्दारा जल में अर्पित पिंड पाषाण के बन गये वही चट्टान पर यह अभी भी दिखाई देते हैं समीप ही एक अन्य चट्टान पर भगवान परशुराम की प्रतिमा उनके माता-पिता की प्रतिमा के चरणों में बनी है तभी से यह स्थान 5 लड्डू के नाम से विख्यात हुआ है!
आत्माओ की शांति के लिए पहुंचते हैं यहा लोग
अकाल मृत्यु एवं अल्प आयु में हुई मृत्यु से विचलित आत्मा की शांति के लिए हिंदू शास्त्र के अनुसार मरने वालों की आत्मा का तर्पण पिंडदान कर उनकी शांति कराना अति आवश्यक माना जाता है इस अनुष्ठान के लिए विधि विधान के साथ पिडदान के लिए नेमावर स्थित पांच लड्डू स्थान भी महत्वपूर्ण माना गया है! यहां पर श्राद पक्ष में मृतक परिजनों व पितरो का पिडदान करने की करने बड़ी संख्या में लोग यहा पहुंचते हैं!
काल सर्प दोष से मुक्ति यहां मिलती है
5 लड्डू स्थान जिस तरह पितरों की आत्मा को शांति एवं मोक्ष के लिए गया महत्वपूर्ण माना जाता है !उसी तरह कुंडली के कालसर्प दोष के निदान के लिए यह स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है यहां पर नाग नारायण बलि अनुष्ठान सर्प दोष मुक्ति आदि करा कर लोग
अपनी कुंडली दोष से मुक्त होते हैं इस स्थान पर हजारों साल पुरानी प्रतिमा यहा का प्राचीन महत्व बताती है,यहां पर कई प्राचीन मूर्तियों के साथ ही शिवलिंग भगवान विष्णु के चरण कमल पद्ममायुक्त प्रतिमा तथा शेषनाथ पर विराजमान विष्णु प्रतिमा है !यहा का स्थान जितना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हे उतना ही पुरातत्व तौर पर भी महत्व रखता है !पितृपक्ष के अवसर पर यहां पर कई लोग तर्पण तथा पिडदान कर अपने पितरो को शांति एव मोक्ष के लिए आते हैं! तथा गया जी जैसा पुष्प लाभ प्राप्त करते हैं
तीन माह तैयार हो गया
परशुराम जी का भव्य मंदिर
संत श्री योगी परशुरामनाथ जी महाराज जोधपुर राजस्थान के स्थाई निवासी है, 28 नवंबर 2012 को उन्होने तीन वर्ष 3 माह और तेरा दिन की नर्मदा परिक्रमा अमरकंटक से प्रारंभ की थी,जो साकुशल पुर्ण हो गई, इसी प्रेरणा से उन्होंने मात्र 3 महीने में ही तिरनाल नर्मदा तट पर भव्य परशुराम भगवान मंदिर का निर्माण करा दिया,
24 घंटे चलता है यहां सदाव्रत
जिस दिन से संत जी यही आए हैं उसी दिन से यहा 24.घंटे सदव्रत चालू हे, यहां से गुजरने वाले परिक्रमा वासियो की अतिथि देवो भवो के साथ सेवा की जाती हे, चाय वालों को चाय कॉफी वालों को काफी पानी वालों को पानी भूखे को भोजन की सेवा की जाती है , पंचकोशी यात्रा पर 20,000 से अधिक श्रद्धालुओं को यह प्रसादी ग्रहण कराई जाती है!
दलाई लामा आए थे तुरनाल
नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 20 मार्च 2017 को बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा विशेष तौर पर तिरनाल पहुंचे थे, यहां भाई जी जन संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए थे हालांकि वे संगम स्थल नहीं गए थे राज्य अतिथि दर्जा प्राप्त दलाई लामा के आगमन से पूर्व क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे
अंबानी परिवार ने भी पूजा
कराई थी,
सौलह श्राद मे 5 लड्डू पर दूर-दूर से लोग आते हैं बड़ी-बड़ी हस्तियां कब आकर चले जाते हैं! ग्रामीणों को पता ही नहीं चलता है
ग्रामीण बताते हैं कि कुछ साल पहले अंबानी परिवार के सदस्य तुरनाल आए थे ,जिन्होंने 5 लड्डू पहुंचकर पूजा कराई थी,
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