December 3, 2023 6:37 pm

आष्टा : विकार त्यागकर ही नववर्ष को सार्थक कर सकते है – सुरेन्द्रबिहारी गोस्वामी

विकार त्यागकर ही नववर्ष को सार्थक कर सकते है – सुरेन्द्रबिहारी गोस्वामी
प्रभुप्रेमी संघ द्वारा नववर्ष का किया गया आयोजन
आष्टा। इस धरती पर महान पराक्रमी राजा विक्रमादित्य हुए, जिनके नाम से ही विक्रम संवत्् जाना जाता है। काल की गणना करने का ऐसा महान प्रतापी राजा इस धरती का ही सपूत था। आताताईयों से जब इस धरती को राजा विक्रमादित्य ने मुक्त कर दिया तो उन्होंने सर्वप्रथम कार्य ही यह किया था कि प्रजा के कृषि ऋण, शासकीय ऋण और व्यक्तिगत ऋण को राज्य के राजकोष से चुकाया गया और एक नए राज्य का निर्माण कर विक्रम संवत्् की शुरूआत की वह प्रथम दिवस ही भारतीय नववर्ष के रूप में जाना जाता है।
इस आशय के उपदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक प्रोफेसर सुरेन्द्रबिहारी गोस्वामी ने स्थानीय गीतांजली गार्डन में प्रभुप्रेमी संघ द्वारा आयोजित भारतीय नववर्ष एवं गुड़ी पड़वा धार्मिक कार्यक्रम में प्रभुप्रेमीजनों को दिए। श्री गोस्वामी ने कहा कि जब व्यक्ति के शरीर में 24 तत्व नही रहते है तो वह शव कहलाता है और जैसे ही उसमें पराम्भा के रूप में आदिशक्ति प्रवेश करती है तो वही शव शिव के रूप में प्रकट होता है। श्री गोस्वामी ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बड़ा त्याग का दिन है। वेद, शास्त्र, उपनिषदों में लिखा है कि उस संपत्ति का दान करने से कोई बड़ा फायदा नही है जो संपत्ति आदमी के स्वामित्व व आधिपत्य में इस धरा पर उसके द्वारा अर्जित की गई है, क्योंकि व्यक्ति द्वारा जो संपदा जो चल-अचल संपत्ति अर्जित की गई है वह उसने जिससे प्राप्त की है उस व्यक्ति की भी वह संपत्ति कभी थी ही नही। अगर व्यक्ति को दान करना है, त्याग करना है तो उसे अपने जीवन में मौजूद विकारों को छोड़ना चाहिए। काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार और ईर्ष्या ही त्याग करने की वस्तुएं है। अगर व्यक्ति इन विकारों को त्याग दे तो धीरे-धीरे इन विकारों से दूर चला जाए तो वह ईश्वर का प्रिय बन जाता है और व्यक्ति के जीवन के अंतिम उद्देश्य की पूर्ति हो जाती है। श्री गोस्वामी ने जिस घर में अधियार भरा है, मेहमान कहां से आए, जिस मन में अभिमान भरा, भगवान कहां से आए…, आधे नाम पर आ जाते है, हो कोई बुलाने वाला, आ जाते है राम हो कोई मौल चुकाने वाला… राधे-राधे बोल हंसते-हंसते, मिल जाएंगे राम रस्ते-रस्ते… जैसे भावपूर्ण व अर्थपूर्ण भजनों की भी प्रस्तुति देकर अनेक उदाहरणों को श्रोताओं के समक्ष रखकर नववर्ष को कैसे सार्थक किया जाए इस पर अनमोल विचार दिए।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि डॉ. ओपी दुबे ने भी भारतीय संस्कृति की ध्वजा को जगह-जगह पर लहराने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि व्यक्ति को कभी मनमानी नही करना चाहिए। रावण इसका उदाहरण है जिसने मनमानी व अहंकार कर अपने साथ अपने कुल का भी नाश कर लिया था। व्यक्ति को ‘‘सुनेंगे सबकी, करेंगे मन की’’ के स्थान पर ‘‘सुनेंगे सबकी, करेंगे शास्त्र की’’ यह पंक्ति जीवन में उतार ले तो वह भी संस्कृति धर्म से कभी दूर नही रह सकता। व्यक्ति को संपत्ति के स्थान पर अपनी संतानों में संस्कारों के बीज बोना चाहिए, तभी हमारी संस्कृति, धर्म, समाज और देश का रक्षण हो सकता है। कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध भजन गायक श्रीराम श्रीवादी, शिव श्रीवादी द्वारा गणेश वंदना, गुरू वंदना के साथ ही भगवान श्रीराम की स्तुति ‘‘श्रीराम चंद्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारूणम््’’ की भी प्रस्तुति दी जिसे उपस्थितजनों द्वारा सराहा गया। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अर्चना सोनी, कल्याणमल श्रीश्रीमाल, सूरजसिंह पटेल द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया गया। गुड़ी की पूजा बब्बन राव महाडिक एवं उपस्थित सभी महिलाओं द्वारा रांगोली बनाकर की गई। भगवा ध्वज पताका का पूजन एवं ध्वजारोहण ओमप्रकाश सोनी जियाजी, श्याम शर्मा सलील, प्रेमनारायण शर्मा, भवानीशंकर शर्मा द्वारा किया गया।कार्यक्रम में प्रभुप्रेमी संघ के संस्थापक सदस्यों द्वारा अतिथियों का पुष्पमालाओं से स्वागत किया गया एवं उपस्थितजनों को भाल पर चंदन व ईत्र लगाकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप टोपी भी धारण करवाई गई और सभी उपस्थितजनों के पैर छूकर आशीर्वाद लेकर एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं भी दी गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ओपी वर्मा द्वारा किया गया तथा आभार वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. हीरा दलोद्रिया ने व्यक्त किया। प्रभुप्रेमी संघ के इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, सामाजिक संगठनों के प्रमुख, महिलाएं एवं बड़ी संख्या में प्रभुप्रेमी जन उपस्थित थे।

Share on facebook
Share on twitter
Share on whatsapp
Share on reddit
Share on telegram

Leave a Comment

ताज़ा खबर

प्रदेश में कोरोना संक्रमण में तेजी से गिरावट मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना में 10 हजार से अधिक मरीजों का नि:शुल्क इलाज मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा की 

हमसे जुड़े

error: Content is protected !!