सीहोर : नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा में उमड़ा आस्था और उत्साह का सैलाब
नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा में उमड़ा आस्था और उत्साह का सैलाब
मनुष्य को अपनी भावना से प्रभु की सेवा करनी चाहिए-108 श्री उद्धव दास
सीहोर। मनुष्य को अपनी भावना से प्रभु की सेवा करनी चाहिए क्योंकि हमारे सभी सुख साधना अंत समय में यही पर रह जाते हैं केवल प्रभु का नाम ही साथ जाता है। उक्त विचार शहर के चाणक्यपुरी स्थित विश्वनाथपुरी में जारी नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा में 108 श्री उद्धव दास महाराज ने भगवान श्रीराम के मनोहर बाल रूप का वर्णन किया। प्रभु श्रीरामचन्द्र ने बाल क्रीड़ा की और समस्त नगर निवासियों को सुख दिया। कौशल्याजी कभी उन्हें गोद में लेकर हिलाती-डुलाती और कभी पालने में लिटाकर झुलाती थीं ।
प्रभु की बाल लीला का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार माता कौशल्या ने श्री रामचन्द्रजी को स्नान कराया और श्रृंगार करके पालने पर बिठा दिया। फिर अपने कुल के इष्टदेव भगवान की पूजा के लिए स्नान किया, पूजा करके नैवेद्य चढ़ाया और स्वयं वहां गई, जहां रसोई बनाई गई थी। फिर माता पूजा के स्थान पर लौट आई और वहां आने पर पुत्र को भोजन करते देखा। माता भयभीत होकर पुत्र के पास गई, तो वहां बालक को सोया हुआ देखा। फिर देखा कि वही पुत्र वहां भोजन कर रहा है। उनके हृदय में कंपन होने लगा। वह सोचने लगी कि यहां और वहां मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है?
प्रभु श्री रामचन्द्रजी माता को घबराया हुआ देखकर मधुर मुस्कान से हंस दिए फिर उन्होंने माता को अपना अखंड अद्भूत रूप दिखलाया, जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं (माता का) शरीर पुलकित हो गया, मुख से वचन नहीं निकलता। तब आंखें मूंदकर उसने रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया। माता को आश्चर्यचकित देखकर श्री रामजी फिर बाल रूप हो गए।
समिति के मीडिया प्रभारी आनंद अग्रवाल ने बताया कि शहर के चाणक्यपुरी के समीप विश्वनाथपुरी में गत सात अपै्रल से नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर समिति के द्वारा की जा रही है। रात्रि आठ बजे से ग्यारह बजे तक जारी रहती है। आगामी 15 अपै्रल को श्रीराम कथा का विश्राम किया जाएगा और उसके पश्चात आगामी 16 अपै्रल को अभिषेक एवं हवन और महाप्रसादी वितरण का आयोजन किया जाएगा।