भारत का हृदय गांव (विशेष लेख)”फिर वही खोई हुई छांव लाया हूं,मैं तेरे खातिर शहर में गांव लाया हूं।”
भारत का हृदय गांव (विशेष लेख)
सीहोर 22 दिसंबर,2019
कहते हैं भारत का हृदय गांव में निवास करता है यह बात एकदम सच है कि गांव आज भी अपनी सांस्कृतिक एकता के लिए जाने जाते हैं आज भारत में, लगभग6,28,221 गांव है वही हम बात मध्य प्रदेश की करे तो मध्यप्रदेश में गांव की संख्या 55, 429 है भारत के लगभग 70 फ़ीसदी आबादी गांव में निवास करती है भारत के गांव अपनी एक अलग पहचान लिए हुए है हमारी भारतीय संस्कृति को समेटे हुए यह गांव आपसी सहयोग भाईचारे की भावना से ओतप्रोत है आज भी गांव में लोग मिलजुल कर अपना गुजारा करते हैं। तथा एक दूसरे की सहयोग की भावना को हमेशा अपने दिल में रखते हैं। यह कई धर्म जाति समुदाय के लोग एक साथ निवास करने के बावजूद भी यह आपसी सहयोग की भावना आज भी बनी हुई है। गांव में सुबह की शुरुआत आज भी पंछियों की मधुर ध्वनि के साथ होती है। सचमुच में भारत के गांव आज भी हमें एकता का संदेश देते हैं । त्योहारों के अवसर पर परिवार के सभी सदस्य साथ मिलकर के बड़े धूमधाम से इन्हें मनाते हैं। सचमुच में गांव एकता का प्रतीक है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि गांव हमारी भारतीय संस्कृति को बनाए रखने में एक अहम योगदान दे रहे हैं। सचमुच में हम बहुत खुशनसीब है जहां के ग्रामीण परिवार एकता का संदेश देते हुए भारत की अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं उन गांव की जहां की जनसंख्या का75% भाग कृषि एक कृषि से जुड़े हुए व्यवसाय अपनी आजीविका चलाते हैं। और भारत की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारत की लगभग64% जनसंख्या की कृषि कार्यों में संलग्न ता तथा कुल राष्ट्रीय आय जनसंख्या की कृषि कार्यों में संलग्नता तथा कुल राष्ट्रीय आय में लगभग 27.4% भाग स्त्रोत के रूप में कृषि महत्वपूर्ण हो गई है जो कि ग्रामीण परिवार की देन है देश के निर्यात में कृषि का योगदान 18% है इसलिए सचमुच में ग्रामीण परिवार भारत का हृदय ग्रामीण परिवार जिस तरह से आपसी सामंजस्य बनाकर चलता है भारत के विकास के लिए एक शुभ संकेत है
“फिर वही खोई हुई छांव लाया हूं
मैं तेरे खातिर शहर में गांव लाया हूं।”