आष्टा : गुरूकृपा हम सभी के अंतःकरण में आनंद की उजास लाती है – डॉ. निलिम्प त्रिपाठी
गुरूकृपा हम सभी के अंतःकरण में आनंद की उजास लाती है – डॉ. निलिम्प त्रिपाठी
प्रभुप्रेमी संघ ने श्रद्धा से मनाया गुरूपूर्णिमा महोत्सव
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज के हजारों भक्तों ने की गुरू अर्चना
आष्टा। रविवार का दिन मानस भवन की दिव्य परिसर में अपने गुरू के प्रति श्रद्धा और समर्पण अर्पित करने के पर्व के रूप में मनाया गया। प्रभुप्रेमी संघ द्वारा आयोजित गुरूपूर्णिमा महोत्सव में श्रद्धालु बड़ी संख्या में अपने गुरू जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज के प्रति भक्तिभाव से श्रद्धा अर्पित करने पहुंचे सत्संगीय माहौल में मधुर भजन लहरियों, प्रवचन श्रवण, गुरूपूजा, महाआरती, भोजन प्रसादी और धर्म क्षेत्र में सक्रिय नगरवासियों के स्वागत सत्कार को समेटे इस आयोजन में स्वतः स्फूर्त उपस्थिति और उमड़ती हुई आस्था दिखाई दी।

जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज के सूक्ष्म सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वैदिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. निलिम्प त्रिपाठी थे। डॉ. त्रिपाठी ने इस अवसर पर आत्मा को सूर्य का सार बताते हुए कहा कि आज सूर्य के ही दिवस रविवार को प्रभु प्रेमी संघ की इस वर्ष की व्यवस्थाओं के अनुरूप दो दिन पूर्व आयोजित गुरूपर्व में आष्टा की आस्था जिस रूप में दिखाई दे रही है उससे मैं अभिभूत हूं। गुरूभक्तों का अभिनंदन करते हुए डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि गुरू ज्ञान की कुंजी से ताला खोलते है, गुरूकृपा हम सभी के अंतःकरण में आनंद की उजास लाती है, हमें भोग नही बल्कि मुक्ति का उपक्रम करना चाहिए। इंद्रियां अनुकूल एवं ग्राह्य तत्वों को ग्रहण करें। चिंतन, मनन, आहार एवं चर्या का प्रभाव शरीर पर पड़ता है यह सभी सात्विक होना चाहिए। गुरू, शिष्य को शांत और कामनारहित बनाते है तथा जीवात्मा को कोटि-कोटि जन्मों की यात्रा को पूर्णता प्रदान करते है। अंतःकरण आनंदित होने लगे, रोमांच उपस्थित हो जाए तो समझों की गुरूकृपा हो रही है।
डॉ. त्रिपाठी ने कथानक के माध्यम से गुरू तत्व को परिभाषित करते हुए बताया कि माता, पिता, गुरू साक्षात्् भगवान है। गुरू आनंद के साथ पूर्णता तथा रससिद्धी प्रदान करते है, आनंद का नाम ही परमात्मा है। सिद्धी को प्राप्त करते ही निर्मलता आने लगती है और कामनाओं के पहाड़ ध्वंस्त होने लगते है। डॉ. त्रिपाठी ने समर्पण को सिद्धी की कुंजी बताते हुए कहा कि भक्त को भगवान पर संदेह नही करना चाहिए, ब्रह्मांड उन्हीं की मुट्ठी में है जिनका हृदय बड़ा होता है। धन अथवा विद्या होने से नही बल्कि देने से धनी और ज्ञानी की उपमा प्राप्त होती है, उन्होंने करूणा और प्रेम के ताने-बाने को ही सबसे बड़ा संबंध बताया।
मानस भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में गुरूभक्तों ने कतारबद्ध होकर स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज की पादुका पूजन की साथ ही स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज के दिवंगत गुरू भारत माता मंदिर के अधिष्ठाता, पद्भूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरिजी महाराज को उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धांजली अर्पित की गई। इस अवसर पर बापचा बरामद के धाम सरकार का भी प्रभुप्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार, संरक्षक ओमप्रकाश सोनी, भवानीशंकर शर्मा, दीनदयाल सोनी, मधुसुदन सोनी द्वारा पुष्पमाला से स्वागत किया गया। प्रमुख वक्ता डॉ. निलिम्प त्रिपाठी का अभिनंदन प्रभुप्रेमीजन प्रेमनारायण गोस्वामी, रामेश्वरप्रसाद खंडेलवाल, मोतीसिंह लाखूखेड़ी, मोहनसिंह अजनोदिया, बाबूलाल जेमिनी, पत्रकार नरेन्द्र गंगवाल, ओंकारसिंह ठाकुर, पत्रकार सुशील संचेती, संजय जोशी, अर्जुन पटेल मानाखेड़ी, पार्षदगण बाबूलाल मालवीय, नरेन्द्र कुशवाह, सुभाष नामदेव, अनिल धनगर, भगवतसिंह मेवाड़ा आदि ने किया। कार्यक्रम में केशव-माधव के नाम से प्रसिद्ध शिवभक्त तथा बारह ज्योतिर्लिंग में से 10 ज्योतिर्लिंग की पैदल कावड़यात्रा करने वाले प्रहलादसिंह वर्मा एवं दिनेश ठाकुर बाबा का भी जी.के. माथुर राजेन्द्रसिंह ठाकुर, शैलेष राठौर द्वारा पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया गया तथा उन्हें इस वर्ष काशी विश्वनाथ की कांवड़यात्रा के लिए विदाई भी दी।
अपने मधुरकंठ से गुरूपूर्णिमा महोत्सव को श्रीराम श्रीवादी, शिव श्रीवादी, संत जीवनराज, अजयराज, कबीरपंथी गायक डॉ. राजेन्द्र मालवीय, मां कृष्णाधाम आश्रम से जुड़े भजन गायक श्री योगी, कौशिकी श्रीवादी ने अपने मधुर कंठ से आनंदमयी बनाया। स्वागत भाषण देते हुए प्रभुप्रेमी संघ के महामंत्री प्रदीप प्रगति ने भी सुमधुर भजन की प्रस्तुति दी।
परंपरानुसार गुरूपूर्णिमा महोत्सव में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रभुप्रेमीजनों ने तिलक लगाया तथा हाथ में सूत्र भी बांधा गया, सभी श्रद्धालुओं ने अत्यंत भक्तिभाव से अपने दीक्षागुरू स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज की सामूहिक महाआरती कर पुष्पांजलि अर्पित की। गौमाता, भारतमाता के जयघोष के साथ ही सभी ने धर्मरक्षा, आपसी सद्भाव, प्राणियों के प्रति करूणा और विश्व कल्याण की ईश्वर से प्रार्थना की। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर गुरूकृपा के रूप में महाप्रसादी ग्रहण की। प्रसादी ग्रहण कराने में प्रभुप्रेमी संघ के महिला संगठन तथा सभी समाज के महिला संगठनों की सदस्यों ने अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। कार्यक्रम का संचालन गोविंद शर्मा ने किया तथा आभार प्रहलादसिंह वर्मा खड़ी द्वारा व्यक्त किया गया।