आष्टा क्या नगर में लोक डाउन खत्म हो चुका है
3 मई को अब कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन उससे पहले आष्टा नगर में ऐसा लग रहा है लोक डाउन पूरी तरह से खत्म हो चुका है या तो इस लोक डाउन के खत्म होने का सबसे बड़ा कारण व्यापारियों की नासमझी है और या फिर प्रशासन इन्हें समझाने में असफल दिखाई दे रहा है क्योंकि अगर आज सुबह का स्वरूप देखा जाए तो सैकड़ों की तादाद में लोग सड़कों पर दिखाई दिए इतना ही नहीं कुछ ऐसे व्यापारी भी थे जो आधी शटर खोलकर अपनी दुकानदारी करने से बाज नहीं आ रहे थे शायद व्यापारियों को कोरोना का एंटी डॉट मिल चुका है या उन्हें पूरी उम्मीद है कि उन्हें कोरोना नहीं होगा।
आज सुबह जब हमारी मीडिया टीम ने आष्टा नगर का सफर शुरू किया तो हमारा पहला पड़ाव मंडी गेट था मंडी गेट पर मानो कोई जत्रा भरी हुई हो या कोई उर्स का मेला हो ऐसा प्रतीत हो रहा था सैकड़ों की तादाद में ट्रैक्टर ट्रॉलीया और सैकड़ों लोग सड़कों पर इस तरह विचरण कर रहे थे मानो जनजीवन साधारण हो चुका हो । 80% लोग बगैर मास्क लगाए अपने व्यापार में व्यस्त थे , प्रशासन द्वारा कुछ छूट दी गई थी लेकिन कुछ छूट को बड़ीछुट छूट मानने की गलती करने वाले व्यापारियों की भी कमी नहीं थी। सीमेंट के साथ सरिया और चादरे बिक रही थी तो कहीं दुकान के नीचे खड़े होकर पान गुटखा और सिगरेट ।
इसके बाद हमने एक और नजारा देखा जो मंडी गेट के ठीक बाहर का था कुछ व्यापारी बाहर बैठकर ही किसानों से बोली लगा रहे थे लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग मानो मजाक हो गले में हाथ डालकर कमर में हाथ डाल कर खड़े हुए लोग दिखाई दिए 3 से 4 सिक्योरिटी गार्ड पैरा तो दे रहे थे लेकिन उन बेचारो की सुने कौन, इसके बाद हमारा अगला पड़ाव कॉलोनी चौराहा था जहां पर हमने देखा स्टेशनरी वाले आधी शटर खोलकर जमकर अपना व्यापार कर रहे थे उनके चेहरे पर एक अद्भुत सी हंसी दिखाई दी ऐसा लग रहा था कि आधी सटर में व्यापार करके उन्होंने कोई किला फतह कर लिया हो किराना दुकान हार्डवेयर और पाइप की दुकान खोलने की इजाजत तो मिली थी लेकिन यहां तो टीवी फ्रिज और कूलर की दुकानें भी धड़ल्ले से खुली हुई दिखाई दी पुलिस के वाहन यहां से वहां दौड़ते रहे लेकिन मजाल है किसी के कान के नीचे जू तक नहीं रेंगी अब इससे व्यापारियों का भगवान ही भला करें कुछ हार्डवेयर वालों ने मानो कसम खा रखी हो कि हमारी दुकान से भीड़ कम नहीं होना चाहिए सोशल डिस्टेंसिंग गई तेल लेने जहां से हम आगे बढ़े तो हमारा अगला पड़ाव था बुधवारा बाजार सफर चित्र विचित्र था एक खौफ अपने मन में था कि आखिर क्यों जनता अपना आपा खो बैठी है और अपनी जिंदगी को कोरोना के हवाले कर चुकी है ऐसा नजारा देखने को मिला तो मन में एक विचार आया कि किसी शायर ने सही कहा है कि हम तो मरेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे बुधवारा में जब हम पहुंचे सामने देखा किराना व्यापारी सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखकर अपनी जान को खतरे में डालकर पैसे कमाने में जुटे हुए हैं अब ऐसे में कपड़ा व्यापारी कहां पीछे रहने वाले थे वह भी अपनी आधी शटर खोल के अपने धंधे में लगे हुए थे और पैसा कमाने की जब बात है तो मोबाइल विक्रेता भी कहां पीछे हटते हैं वह भी खुलकर अपनी दुकान खोल कर व्यापार करते हुए नजर आए इतना सब कुछ देखने के बाद हम बड़ा बाजार की ओर गए तो ऐसे ही नजारे हमें वहां भी देखने को मिले यह कहा जा सकता है कि व्यापारियों ने ठान ली है किसी हो जिले को कोरोना मुक्त नहीं रहने देंगे यह भी कह सकते हैं कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि का परिचय देते हुए दिखाई दिए
ऐसे में प्रशासन का निर्णय हुआ है कि कल से मंडी भी चालू कर दी जाएगी प्रतिदिन डेढ़ सौ ट्रालियां तोली जाएगी अब देखना है कि कल सुबह हालाते आष्टा क्या होगा क्योंकि एक और दो आमजन की भीड़ वैसे ही बढ़ी हुई है और जब ट्रैक्टर ट्रॉली ओ की आवक बढ़ेगी तो क्या मंजर होगा क्या प्रशासन और पुलिस के पास पर्याप्त व्यवस्था है या आने वाला समय बताएं
लेकिन फिर भी अंत में एक बार फिर असफल प्रयास कर लेता हूं और निवेदन कर लेता हूं कि घरों में रहे सुरक्षित रहे अपने आप को सैनिटाइज करते रहे मैं जानता हूं इन सब बातों से अब आपको कोई फर्क नहीं पड़ता तो फिर भी पढ़ लो शायद मन बदल जाए