किसी पर गलत दृष्टि ना डालें , दान हमेशा छुपाकर करना चाहिए, छपा कर नहीं —अपूर्वमति माताजी
आष्टा ।भक्तों की भक्ति से पाप कर्म दूर होता है। अतिशय प्रकट हो जाता है। अतिशय नहीं होता है ।ब्रह्म मुहूर्त के बाद उठने वाले को दर्शावरणी कर्म आश्रव का बंध होता है। कभी भी किसी के ऊपर बुरी नजर अर्थात गलत दृष्टि ना डालें ।गरीबी का दुःख मानसिक दुःख है। आज के समय में किसी पर दया करना दुश्वार हो गया है ।दान हमेशा छुपाकर करना चाहिए, छपा कर नहीं।
उक्त बातें दिव्योदय तीर्थ क्षेत्र श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर किला पर अपने आशीर्वचन के दौरान संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की परम प्रभाविका शिष्या अपूर्वमति माताजी ने कही ।आपने कहा कि व्यक्ति आज स्वयं मिथ्यात्व को पाल रहा रहा है और दूसरे को भी मिथ्यात्व पलवा रहा है ।सज्जन पुरुष आंखों देखा, कानों से सुना कहता नहीं है। आपने चार प्रकार के दुखों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। साथ ही कहा कि हमें हमेशा अच्छे भाव रखना चाहिए। करुणा दान का महत्व बताते हुए कहा कि भूखे को भोजन कराना ,प्यासे को पानी पिलाना ,निर्वस्त्र को कपड़ा दान करना चाहिए ।जरूरतमंद को राह दिखाओगे या सहयोग करोगे तो वह किसी पूजा से कम नहीं है।