आष्टा। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अवतरण दिवस को आष्टा के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर दिव्योदय अतिशय तीर्थ किला पर पूज्य आर्यिका श्री 105 अपूर्व मति माता जी ससंघ के पावन सानिध्य में मातृ पित्र वन्दन दिवस के रूप में मनाया गया । प्रातः काल 8 बजे आचार्य श्री का चित्र अनावरण समाज के संरक्षक दिलीप सेठी ,अध्यक्ष यतेंद्र जैन ,महामंत्री कैलाश जैन चित्रलोक ,मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष आनन्द जैन पोरवाल , कैलाशचंद्र जैन , रमेशचंद जैन आदिनाथ द्वारा किया गया। दीप प्रज्वलन पाठशाला की समस्त शिक्षिका गणों द्वारा किया गया। तत्पश्चात आचार्य गुरुदेव की संगीतमय पूजन गुरु मेरे ऋषिवर गुरु भगवान की गई। पूज्य आर्यिका श्री अपूर्व मति माता जी ने अपने विशेष व्याख्यान में गुरु की महिमा का बखान कर आचार्य भगवन के संस्मरण सुनाए एवं उनके द्वारा किए गए कार्यो पर प्रकाश डाला। नैनागिर में आचार्य गुरुवर के पाटे के नीचे नाग -नागिन आकर बैठते थे, ऐसे है हमारे गुरु विद्यासागर जी। इस भूमि पर हर माता पुत्र को जन्म देती है ,पर उन्हीं माताओं का महत्व हुआ करता है, जिनकी कोख से महापुरुष जन्म लिया करते है। आज शरद पूर्णिमा के दिवस कई माताओं ने पुत्र को जन्म दिया, पर सभी महान नही हुआ करते । जिसका यश ,नाम ,कर्म का प्रबल पुण्य का उदय होता है ,वही व्यक्ति जग में पूजा जाता है । जबकि गुरु जी इन सब चीजों से बहुत दूरी बना कर रखते है ।ख्याति ,लाभ, पूजा में नही उलझे । प्रवचन के पश्चात मन्दिर जी विराजित चौबीसी प्रतिमाओं की वेदी पर क्षत्र लाभार्थी श्रावकों ने चढ़ाये । दोपहर 1 बजे से पूज्य आर्यिका संघ की प्रेरणा से मातृ पित्र वन्दन दिवस का आयोजन सम्प्पन हुआ ।जिसके अंतर्गत समाज के समस्त बुजुर्ग, माता ,पिता का पंचायत समिति द्वारा स्वागत व सम्मान साल श्रीफल एवं मोती की माला पहनाकर एवं सभी को आचार्य श्री के चित्र भेंट करके किया गया ।उनके परिवारजनों द्वारा बहुमान किया गया ।इस अदभुत आयोजन की सभी जन ने सराहना की पाठशाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा विराट धार्मिक कवि सम्मेलन कर आयोजन में रस घोल दिया। सभी बच्चों ने अपनी कविताओं में आचार्य श्री के संस्मरण सुना कर भावना भाई की गुरु देव आष्टा पधारे। पूज्य आर्यिका श्री ने मातृपित वन्दन दिवस पर अपने सम्बोधन में कहा कि सभी को अपने माता-पिता की सेवा करना चाहिए। ये ही हमारे जीवन मे चलते फिरते तीर्थ के समान है।
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